चुरू, राजस्थान। आज राजस्थान के किसानों के मसीहा कहे जाने वाले और थार का गांधी कहे जाने वाले दौलतराम सारण का जन्मदिन हैं। हालांकि दौलतराम सारण अब इस दुनियां में नहीं हैं। लेकिन उनका किसानों के लिए दिया गया जीवन हमेशा किसानों को याद रहेगा। दौलतराम सारण राजस्थान विधानसभा में भी मंत्री रहे, उसके बाद केंद्रीय मंत्री भी रहे थे।
आखिर कौन थे दौलतराम सारण
राजस्थान किसान यूनियन के संस्थापक दौलतराम सारण का जन्म 13 जनवरी 1924 को राजस्थान के चुरू जिले के पंचेरा गांव में हुआ था। दौलतराम सारण ने अपनी पढ़ाई सरदारशहर से ही कि थी। दौलतराम सारण ने आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी का भी साथ दिया था। दौलतराम सारण गांधीवादी विचारों के थे, इसलिए उन्हें थार का गांधी भी कहा जाता हैं। दौलतराम सारण राजस्थान के किसानों की आवाज हमेशा बुलंद रखते थे, इसलिए उन्हें किसानों का मसीहा भी कहा जाता हैं। जब दौलतराम सारण 87 वर्ष के थे, तब 2 जुलाई 2011 को उनका निधन हो गया था।
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दौलतराम सारण शुरुआत में किसानों के लिए संघर्ष करते थे, फिर उन्होंने गांधी का भारत की स्वतंत्रता के आंदोलन में भाग लिया। आजादी के लिए गांधी का साथ दिया। आजादी के बाद दौलतराम सारण को चुरू कांग्रेस का महासचिव बनाया गया, फिर 1950 से 1957 तक चुरू कांग्रेस जिलाध्यक्ष बनाया गया।
1957 से 1966 तक दौलतराम सारण राजस्थान विधानसभा में कृषि मंत्री, पशु मंत्री और पंचायती राज मंत्री रहे थे। लगातार तीन बार दौलतराम सारण डूंगरगढ़ विधानसभा से विधायक रहे थे।
साल 1966 में दौलतराम सारण ने कुम्भाराम आर्य, कमला बेनीवाल के साथ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और राजस्थान जनता पार्टी के साथ जुड़ गए। दौलतराम सारण को जनता पार्टी का महासचिव भी बनाया गया।
1967 से 1972 तक वे जनता पार्टी से विधायक बने, फिर जनता पार्टी को चौधरी चरण सिंह से जोड़ दिया। आपातकाल के दौरान 1975 में दौलतराम सारण को जेल में भी डाला गया था।
इसके बाद 1977 में उन्होंने चुरू से लोकसभा सांसद का भी चुनाव जीत लिया, उसके बाद 1980 में दुबारा हुए लोकसभा चुनावों में भी दौलतराम सारण फिर से सांसद बन गए।
1989 से 1991 दौलतराम सारण जनता दल से फिर से लोकसभा सांसद बने। प्रधानमंत्री चन्द्र शेखर के कार्यकाल में दौलतराम सारण को शहरी विकास मंत्री बनाया गया।
दौलतराम सारण ने बाल-विवाह, मृत्यु भोज जैसी प्रथाओं का घोर विरोध किया। राजस्थान के किसानों को एकत्र किया।
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