1101 दिनों तक लगातार अनशन करने वाले पीरदान सिंह राठौड़ का दर्द, 1995 से लेकर 2018 तक की पूरी कहानी

यह कहानी हैं एक ऐसे शख्स की, जिसने 1101 दिन तक भूखे प्यासे रह कर अनशन किया हैं। यह कहानी हैं उस शख्स की जिसके पास एक समय 21 बड़े ट्रेलर हुआ करते थे। यह कहानी हैं एक ऐसे शख्स की, जिसने एक छोटे से थाने से लेकर कलेक्टर, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, गृहमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक न्याय की गुहार लगाई। लेकिन सबसे बड़ी बात हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय से भी जांच के ऑर्डर होने के बाद भी इस शख्स को न्याय नहीं मिला।

4 साल तक लगातार अनशन करने पर भी इस इंसान को कहीं भी न्याय नहीं मिला। इस शख्स की एक ही मांग हैं कि जो मेरे ऊँपर मुकदमे लगे हुए है, उनकी जांच हो और अगर मैं दोषी पाया गया तो, मुझे जेल में डाल दो।

कहानी बड़ी ही रोचक हैं, लेकिन इतनी दुःखदायी और दुर्भाग्यपूर्ण भी हैं कि आप सोच भी नहीं सकते। इस कहानी के जरिए आपका भारतीय कानून से विश्वास भी उठ जाएगा और आपको भारत की न्यायपालिका का भी पता चल जाएगा।

आज हम इस शक्स के बारे में छोटी से छोटी बात से लेकर हर बात का खुलासा करने वाले हैं। हम जिस शख्स की बात कर रहें हैं, उस शख्स का नाम हैं पीरदान सिंह राठौड़। वहीं पीरदान सिंह राठौड़ जिसके एक समय 21 ट्रेलर एक मार्बल कम्पनी में चलते थे। जो ट्रांसपोर्ट का काम करते थे। लेकिन आज वहीं शख्स अपने न्याय के लिए हर जगह ठोकरें खाकर भी न्याय से वंचित हैं।

साल 1995 में शुरू किया ट्रांसपोर्ट का कारोबार

अब अगर पढ़ना शुरू ही कर दिया हैं, तो अंत तक पढ़ना। हम इस कहानी की शुरूआत 24 साल पहले 1995 से शुरू करते हैं। राजस्थान के नागौर जिले के परबतसर तहसील के गांव हरनावां के पीरदान सिंह राठौड़ ने 1995 में ट्रांसपोर्ट का काम शुरू किया था। राजस्थान की मशहूर मार्बल कम्पनी आर के मार्बल में पीरदान सिंह राठौड़ ने अपने सभी 21 ट्रक लगा दिए। इतने ट्रक एक साथ लगने के कारण कम्पनी ने बहुत जल्दी ही बुलंदियों को छूने का काम किया। आर के मार्बल भारत में प्रसिद्ध होने के साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध हो गया।

उधर पीरदान सिंह राठौड़ के लिए भी सही था। एक ही कम्पनी से उनका ट्रांसपोर्ट का काम चल रहा था। 1995 से 2010 तक उनका ट्रांसपोर्ट का काम आर के मार्बल कम्पनी के साथ बहुत अच्छा चलता रहा। साल 2010 में सरकार ने ओवरलोडिंग पर रोक लगा दी। अब ट्रकों में ओवरलोड करके मार्बल नहीं ले जा सकते थे।

सरकार ने ओवरलोडिंग को लेकर निकाला नया आदेश

इस के कारण आर के मार्बल कम्पनी को मुश्किल हो गया क्योंकि अब उनको अपने मार्बल को सप्लाई करने के लिए ज्यादा ट्रक चाहिए थे। आर के मार्बल कम्पनी वाले अपना टैक्स बचाने के लिए सरकार के आदेशों की अवहेलना करते हुए पीरदान सिंह राठौड़ के ट्रकों में ओवरलोड करके ही मार्बल भेज रहे थे। आर के मार्बल ग्रूप को तो इस से फ़ायदा हो रहा था, लेकिन ट्रांसपोर्ट वाले पीरदान सिंह राठौड़ को इसका घाटा हो रहा था , क्योंकि वो उनके ट्रक सरकार के आदेशों के ख़िलाफ़ ओवरलोड होकर मार्बल सप्लाई कर रहे थे।

पीरदान सिंह राठौड़ ने इसका विरोध किया था, लेकिन अब तक आर के मार्बल एक मशहूर कम्पनी बन चुकी थी। आर के मार्बल कम्पनी के चैयरमेन अशोक पाटनी हैं, जो राजस्थान के बड़े व्यापारियों में आते हैं। पाटनी सीएम वसुंधरा से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक उठने-बैठने वाले कारोबारी हैं। पीरदान सिंह राठौड़ पर उनके ट्रकों का कर्ज भी था। हर महीने उनको लाखों रुपए किश्तों में जमा कराने पड़ते थे।

18 सालों के कारोबार को किया एक चुटकी में खत्म

पीरदान सिंह ने जब इतने बड़े शख्स को ओवरलोड करने से मना किया, तो पीरदान सिंह राठौड़ पर आर के मार्बल कम्पनी ने किसी दूसरे के द्वारा एक केस करा दिया। कोर्ट ने भी पीरदान सिंह राठौड़ 4 अगस्त 2012 को बिना नोटिस भेजे ही डायरेक्ट सम्पति सूची और गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। कोर्ट ने जो पत्र जारी किए थे, वो जाने थे अजमेर एसपी ऑफिस। लेकिन वो पत्र पीरदान सिंह राठौड़ के पास पहुंच गए। इस पत्र को पढ़कर पीरदान सिंह राठौड़ को कुछ समझ आया और उनको आर के मार्बल कम्पनी का खेल समझ आया। न्याय के लिए पीरदान सिंह राजसमंद कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए राजसमंद गए,  लेकिन बीच रास्ते मे आर के मार्बल कम्पनी के इशारे पर पीरदान सिंह राठौड़ को गाड़ी से नीचे उतार उनके साथ मारपीट की गई। अब पीरदान सिंह राठौड़ के सारे ट्रकों की किस्तें बकाया हो गई।

उन्होंने ने लगातार 8 महीने तक किस्तें नहीं चुकाई। जिसके कारण फाइनेंस कम्पनियों ने उनके ट्रक नीलाम कर दिए। आर के मार्बल ने पीरदान सिंह राठौड़ 18 साल के कारोबार को एक दम से सड़क पर ला दिया। अब अपने आपको ठगा समझकर पीरदान सिंह राठौड़ ने कोर्ट से पूरे मामले की जांच करने की मांग की। केंद्र सरकार ने जांच के आदेश दिए, लेकिन आर के मार्बल कम्पनी ने जांच में अलग-अलग बयान दिए। पीरदान सिंह राठौड़ पर आर के मार्बल कम्पनी के चैयरमेन अशोक पाटनी ने पीरदान सिंह राठौड़ कही आरोप लगाए थे, तो उनके साथ आर के फ्यूल कम्पनी के प्रोपाइटर पुष्कर पाटीदार ने भी कुछ आरोप लगाए।


उधर पीरदान सिंह ने सभी आरोपों पर आरटीआई से उत्तर मांगे तो सारे के सारे झूठे निकल गए। अब आर के मार्बल कम्पनी पीरदान को दोषी साबित नहीं कर पाई, लेकिन पीरदान ने वापिस प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर फिर से जांच की मांग की। पीएमओ से पीरदान सिंह राठौड़ अजमेर आईजी के नाम जांच का ऑर्डर पास करवा लाए, लेकिन फिर भी कोई जांच नहीं की गई।

न्याय के लिए अनशन करना पड़ा, लेकिन न्याय कहाँ???

असहाय पीरदान सिंह राठौड़ ने अब अनशन शुरू कर दिया। साल 2015 में पीरदान सिंह राठौड़ ने 13 दिनों तक दिल्ली में अनशन किया, जिसमें 3 दिन तक पीएम हाउस के सामने, जंतर-मंतर के सामने और गांधी-समाधि के सामने अनशन किया। उसके पीरदान सिंह राठौड़ ने अपने अनशन को दिल्ली से आकर राजस्थान में जारी रखा। राजस्थान में पीरदान सिंह राठौड़ ने मुख्यमंत्री हाउस के सामने, पुलिस मुख्यालय के सामने, राज्यपाल के घर के सामने अनशन रखा। उसके बाद 33 दिन तक अजमेर कलेक्ट्रेट के सामने भी अनशन जारी रखा। 9 अप्रैल 2015 को प्रशासन ने पुलिस के साथ मिलकर पीरदान सिंह को जबरन उठा लिया था और उनको बेहोश कर दिया। हॉस्पिटल को 200 पुलिस वालों ने घेर कर पीरदान को ग्लूकोस लगाए गए। पीरदान सिंह राठौड़ को जेल में डाल दिया गया। इसप्रकार पीरदान सिंह राठौड़ ने 19 फरवरी से 9 अप्रैल 2015 तक कुल 50 दिनों तक अनशन किया था।

1101 दिनों के अनशनकारी बने पीरदान सिंह राठौड़

पीरदान सिंह राठौड़ को फिर से प्रशासन ने मिलकर असहाय कर दिया, लेकिन पीरदान कहा हार मानने वाला था। पीरदान सिंह राठौड़ ने फिर से 10 दिसम्बर 2015 से अनशन चालू कर दिया।  यह अनशन 1101 दिनों तक चला। जो 10 दिसम्बर 2015 से लेकर 15 दिसम्बर 2018 तक था।


इस बीच पीरदान सिंह राठौड़ ने 1 जून 2016 को न्यायालय का  दरवाजा खटखटाया। पीरदान सिंह राठौड़ ने अशोक पाटनी और पुष्कर पाटीदार के ख़िलाफ़ एक मुकदमा दर्ज कराया, जिस पर कोर्ट में जांच के आदेश फिर से दिए। पीरदान मामले की जांच के लिए डीजीपी मनोज भट्ट ने चुनाराम जाट को नियुक्त किया, लेकिन जांच शुरू होने के महज तीन दिन बाद आर के मार्बल ने अपने इशारे से अजमेर एसपी का ट्रांसफर करवा दिया। अब नए जांच अधिकारी आ गए पूनमचंद विश्नोई। उन्होंने इस मामले की जांच सख्ती से शुरु की तो उनका भी ट्रांसफर करवा दिया गया। अब तीसरे एसपी मोनिका सैन ने फर्जी जांच करके मामले को निपटा दिया।

राजस्थान विधानसभा में गूंजा पीरदान सिंह राठौड़ का मामला


आखिर पीरदान सिंह का नाम राजस्थान की विधानसभा में भी गूंज उठा। राजस्थान की विधानसभा में तत्कालीन खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल ने पीरदान सिंह राठौड़ का मुद्दा उठाया था। विधायक हनुमान बेनीवाल एक-एक करके तीन बार राजस्थान की विधानसभा में पीरदान सिंह राठौड़ को एसआईटी जांच देने का मुद्दा उठाया। बेनीवाल के प्रश्न के तुरंत बाद विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह ने सम्बंधित मंत्री गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को जांच के आदेश दिए। लेकिन फिर भी पीरदान सिंह राठौड़ के मामले की जांच नहीं हो पाई।

समाज के ठेकेदारों और सामाजिक संगठनों ने बनाई पीरदान से दूरियां


पीरदान सिंह राठौड़ मामले में सामाजिक संगठन कहाँ पीछे रहने वाले थे। पीरदान सिंह राठौड़ राजपूत समाज से होने के कारण करणी सेना इस मामले में आगे आई। करणी सेना के लोकेंद्र सिंह कालवी ने पीरदान राठौड़ मामले में एक बार तो संज्ञान लिया, लेकिन धीरे-धीरे दूरी बना ली। इसी तरह दूसरी करणी सेना के सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने इस मामले को उठाया, लेकिन वो अशोक पाटनी के इशारे पर उसी समय चुप हो गए और पीरदान सिंह राठौड़ को अपशब्द भी कहने लग गए। सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने पीरदान सिंह राठौड़ को खाना खाकर अनशन करने वाला तक बता दिया। 

उसके बाद सभी समाजों के संगठनों ने राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना महिपाल सिंह मकराना के साथ मिलकर पीरदान सिंह राठौड़ के मामले को आगे उठाने की कसम खाई। महिपाल सिंह मकराना पीरदान से मिलने सभी संगठनों के साथ अजमेर अनशन स्थल पर पहुंचे। धीरे-धीरे महिपाल सिंह भी पीरदान से दूरी बना गए और पीरदान सिंह राठौड़ का मामला ऐसे ही लटकता रह गया।

सोशल मीडिया के जरिये अपनी आवाज उठाना शुरू किया, 30 हजार लोगों को जोड़ा


असहाय पीरदान सिंह राठौड़ ने अब खुद सोशल मीडिया के जरिये अपनी आवाज उठानी शुरू कर दी। पीरदान सिंह राठौड़ फेसबुक के जरिये लोगों को अपना दर्द बताने लगे। फेसबुक पर अपना दर्द लिखते गए। कभी लाइव वीडियो के जरिये तो कभी सुबह की पोस्टों के जरिये पीरदान ने अपना दर्द सबको बताया। धीरे-धीरे पीरदान सिंह राठौड़ के साथ फ़ेसबुक पर नए-नए लोग जुड़ते गए। एक-एक करके पीरदान के पास 30 हजार से ज्यादा साथी फेसबुक पर हो गए। पीरदान सिंह राठौड़ के फेसबुक पर 30 हजार से ज्यादा फॉलोवर्स हैं। पीरदान सिंह राठौड़ अब अपना दर्द फ़ेसबुक के जरिये ही बताते हैं। वो हर दिन 5-6 पोस्ट डालते हैं। लाइव आकर वीडियो के जरिए लोगों को अपना दर्द बताते हैं।


पीरदान सिंह राठौड़ का असहाय परिवार


पीरदान सिंह राठौड़ के परिवार में 6 लोग हैं। उनकी पत्नी के साथ 2 उनकी बेटियां तो 2 उनके बेटे हैं। आर के मार्बल ने पीरदान के परिवार पर भी झूठे मुकदमे दर्ज करवा दिए। चारों ही बच्चे उच्च स्तरीय पढ़ाई किए हुए। बेटियों ने एलएलबी, एम बी ए तक पढ़ाई कर रखी हैं। लेकिन फर्जी केस होने के कारण उनको कही भी नौकरी नहीं मिल पा रही हैं। चारों बच्चे भी अपने करियर को दबा कर अपने असहाय पिता के साथ घर पर बैठे हैं। पीरदान मूलतः नागौर जिले के परबतसर तहसील के गांव हरनावां के हैं, लेकिन फिलहाल वह अपने परिवार सहित अजमेर में ही रहते हैं।


पीरदान सिंह राठौड़ की मांग, उनकी जुबानी

जब हमने पीरदान सिंह राठौड़ से दूरभाष के जरिए बात की, तो पीरदान सिंह राठौड़ का बताया हैं कि उनसे सम्बंधित 9 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें 7 मुकदमे उनके ख़िलाफ़ हैं। 2 मुकदमे पीरदान सिंह राठौड़ आर के मार्बल के ख़िलाफ़ दर्ज करवा रखे हैं। पीरदान सिंह राठौड़ की एक ही मांग हैं कि इन मुकदमों की एसआईटी जांच हो। अगर इन मुकदमों में पीरदान सिंह राठौड़ दोषी पाया जाता हैं, तो पीरदान सिंह राठौड़ को कोर्ट सज़ा देकर जेल में डाल सकता हैं।

बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित पीरदान सिंह राठौड़


जब हमने पीरदान सिंह राठौड़ से बात की, तो उन्होंने सबसे ज्यादा बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता की। पीरदान ने बताया कि उनका जीवन खराब कर दिया गया। बड़ी बेटी ने एमबीए किया हुआ, जबकि छोटी ने एलएलबी। फिर भी कहीं नौकरी नहीं लग पा रही हैं। बेटियों पर भी मुकदमे दर्ज करवा दिए गए। उनका भविष्य अंधकार से भरा हुआ है। पीरदान ने कहा कि क्या उनको जीने का अधिकार नहीं हैं????

दोस्तों यह थी अनशनकारी, आंदोलनकारी, संघर्षकारी पीरदान सिंह राठौड़ की कहानी। 

- By Hanman Nimod, INC News

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