क्या इस बार भी नागौर में कांग्रेस जाट कार्ड खेल कर बीजेपी को पूरे जिले में चित कर देगी? देखें पूरी रिपोर्ट

नागौर, राजस्थान।



राजस्थान का नागौर जिला मारवाड़ की राजनीति का गढ़ रहा हैं, यहां पूरे जिले में सभी सीटें जाट समाज की प्रभुत्व वाली सीटें हैं और अन्य जातियां यहां निर्णायक भूमिका में रहती हैं। अगर हम बात करते हैं साल 2018 विधानसभा चुनावों की तो नागौर की 10 सीटों में से 8 सीटों पर जाट विधायक जीते थे, वहीं 2 सीटें जो आरक्षित हैं, उन सीटों पर भी जाट समाज के वोटर्स ही निर्णायक भूमिका में रहे थे। इस तरह हम आसानी से कह सकते हैं कि नागौर जिले की सभी 10 विधानसभा सीटों पर जाट समाज का प्रभुत्व हैं।


अगर हम नागौर की पूरी राजनीति की बात करें तो पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 10 सीटों में से 6 सीटों पर जाट प्रत्याशी उतारे उनमें से 5 जाट विधायक चुनाव जीत गए, वहीं बीजेपी ने नागौर में 3 जाट प्रत्याशी उतारे उनमें से 2 चुनाव जीत गए। इसके अलावा नागौर में तीसरे मोर्चे RLP का भी काफी बोलबाला हैं, RLP के 2 विधायक नागौर जिले से चुनाव जीते हुए हैं और यहां से सांसद भी RLP के हनुमान बेनीवाल ही हैं। इसके अलावा नागौर जिले में कांग्रेस ने अपनी नई टीम भी तैयार की हैं, जिनमें लाडनूं विधायक मुकेश भाकर, परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया, डीडवाना विधायक चेतन डूडी और डेगाना विधायक विजयपाल मिर्धा, यह चारों ही युवा चेहरे हैं और पहली बार विधायक चुनकर विधानसभा गए हैं।


इसके विपरीत अगर हम बीजेपी की बात करें तो बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनावों में अपने पुराने चेहरों पर ही विश्वास जताया था, जिसके कारण बीजेपी को इस जिले में सिर्फ 2 सीटों पर ही संतुष्ट होना पड़ा था। बीजेपी ने जिले में 3 सीट राजपूत समाज के नेताओं को भी दी थी, ये तीनों सीटें ही बीजेपी हार गई, इनमें परबतसर, डीडवाना और लाडनूं शामिल हैं। लेकिन इस बार देखना होगा कि बीजेपी अपनी रणनीति में बदलाव करती हैं या फिर वहीं पुरानी रणनीति के अनुसार काम करती हैं, हालांकि इस बार बीजेपी के पास युवा चेहरे भी हैं पार्टी में और वो जाट समाज से भी ताल्लुक रखने वाले हैं, लेकिन अब पार्टी उन पर विश्वास जताती हैं या नहीं ये देखने वाली बात है।


अगर हम इस पूरे मामले में हॉट सीट की बात करें तो हम परबतसर को मान सकते हैं, जहां से बीजेपी के प्रबल दावेदार अमरचंद झाझड़ा हैं, जो पूरे जिले सहित प्रदेश में भी चर्चित हैं और उनके सामने कांग्रेस के रामनिवास गावड़िया हैं, जो भी एक युवा जाट नेता हैं और सीटिंग विधायक भी हैं, लेकिन यहां बीजेपी की टिकट के ऊँपर ही पूरा मामला टिका हुआ हैं, अगर बीजेपी पिछली बार हारे हुए मानसिंह किनसरिया को टिकट देती हैं तो समीकरणों के आधार पर बीजेपी को इस बार भी यहां हार का सामना करना पड़ सकता हैं, क्योंकि क्षेत्र में यहां रामनिवास गावड़िया का भी अच्छा माहौल हैं, लेकिन अगर बीजेपी अमरचंद झाझड़ा को टिकट देती हैं, तो उनके साथ जाट समाज के साथ-साथ अन्य समाज भी साथ आ सकते हैं, उसका सबसे बड़ा कारण हैं कि अमरचंद झाझड़ा की सक्रियता।


अमरचंद झाझड़ा पिछले 5 साल में पूरे विधानसभा क्षेत्र का गांव-गांव ढाणी-ढाणी तक अपने कदमो से नाप चुके हैं, इसके अलावा परबतसर विधानसभा क्षेत्र में 88 बीघा जमीन गौशाला में दान भी दी हैं, जिसके कारण अमरचंद झाझड़ा एक बड़े गौभक्त के रूप में पूरे प्रदेश में चर्चित हो गए हैं। अब देखना होगा कि बीजेपी इस बार अपनी रणनीति में बदलाव करके नागौर की परबतसर विधानसभा सीट से किसे उमीदवार बनाती हैं।


वहीं डीडवाना में बीजेपी के पास पूर्व मंत्री यूनुस खान, पिछली बार चुनाव में हारे हुए जितेंद्र सिंह जोधा, युवा जाट नेता हनुमान चौधरी, कर्नल नन्दकिशोर ढाका और ओमदास महाराज। वहीं इनके उलट कांग्रेस के पास चेतन डूडी हैं, जो सिटिंग विधायक हैं और उनकी दावेदारी लगभग तय बताई जा रही हैं, कुछ अन्य चेहरे भी हैं कांग्रेस के पास लेकिन यहां चेतन डूडी ही मुख्य उमीदवार हैं।


अगर लाडनूं विधानसभा की बात करें तो यहां कांग्रेस के प्रमुख दावेदार वर्तमान विधायक मुकेश भाकर हैं, तो बीजेपी के पास मुख्य उमीदवार पूर्व विधायक मनोहर सिंह के बेटे करणी सिंह हैं, मनोहर सिंह का हाल ही में बीमारी से निधन हो चुका हैं। वहीं RLP भी इस सीट से अपने पते खोल सकती हैं। इसके अलावा पूर्व मंत्री हरजीराम बुरड़क के बेटे जग्गनाथ बुरड़क भी एक चेहरा हैं इस सीट से। गैंगस्टर आनंदपाल के भाई मंजीत पाल सिंह भी इस सीट सक्रीय नजर आ रहे हैं।  बाकी मुख्य मुकाबला यहां मुकेश भाकर और करणी सिंह के बीच में रह सकता हैं।


बाकी मकराना, डेगाना, खींवसर और नागौर सीटों पर दावेदारी कम ही नजर आ रही हैं। खींवसर और नागौर में RLP मुख्य भूमिका में रह सकती हैं। वहीं मेड़ता और जायल सीट आरक्षित सीटें हैं, यहां दोनों पार्टियों से ही पुराने उमीदवार ही नजर आ सकते हैं और RLP भी अपने पुराने चेहरों पर ही दांव खेलेगी।






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