नागौर के किसान नेता और पूर्व विधायक स्वर्गीय रूपाराम डूडी की पूरी जीवनी


डीडवाना, नागौर।

आज नागौर के किसान नेता और डीडवाना से पूर्व विधायक रूपाराम डूडी की छठी पुण्यतिथि हैं। INC News किसान नेता डूडी को प्रणाम करता हैं। किसान नेता रूपाराम डूडी को लोग आज भी याद करते हैं, तो हर कोई मायूस हो जाता हैं, क्योंकि डूडी थे ही इस तरह के सरल, सादा जीवन जीने वाले व्यक्ति। डूडी हमेशा हक की लड़ाई और सच्चाई का साथ देने वाले थे। आज हम आपको उनकी पूरी जीवनी बताने जा रहे है।

प्रारंभिक जीवन:-

श्री रुपाराम जी डूडी का जन्म एक किसान परिवार में 11 नवम्बर 1949 को रामधन जी डूडी के घर पर हुआ, जब रूपाराम 1 साल के हुए थे, उस समय इनके पिता जी देहान्त हो गया और 2 साल की उम्र मे माता जी का भी निधन हो गया। इनका बचपन बहुत ज्यादा कठिनाइयों से गुजरा, इनका लालन पोषन ननिहाल वालो ने किया था। डूडी दो भाई बहन थे, बहन इनसे बडी थी। डूडी 5 वीं तक ननिहाल में ही पढ़े थे, उसके बाद बडायली स्कूल मे 10 वीं तक पढ़ाई की।


राजनीतिक जीवन:-

रूपाराम डूडी ने अपने राजनितिक जीवन की शुरुआत 1978 में सरपंच पद से की, इसके बाद वो लगातार 2 बार सरपंच बने। उसके बाद 1993 में जिला परिषद् के सदस्य भी बने, जनता में इनकी पकड़ को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने इन्हें 1998 में डीडवाना से टिकट दिया, जिसमे इन्होने जीत हासिल की और पहली बार डूडी डीडवाना से राजस्थान विधानसभा पहुंचे। अगले विधानसभा चुनाव 2003 में वसुंधरा राजे के जातिगत समीकरणों के कारण डूडी चुनाव हार गये, मगर इन्होने हार नहीं मानी। 2003 से 5 सालों तक डूडी जनता से जुड़े रहे।

2008 के विधानसभा चुनावो में रूपाराम डूडी ने भाजपा के पूर्व मंत्री युनुस खान को हराकर अपनी जीत दर्ज करा दी। दूसरी बार विधायक बनने के बाद रूपाराम डूडी ने नागौर जिले में कांग्रेस की कड़ी से कड़ी जोड़ने वाले नारे को पूरी तरह साकार कर दिखाया। पंच और सरपंच से लेकर नगरपालिका अध्यक्ष भी कांग्रेस के बनाये और पूरे नागौर में कांग्रेस की कड़ी से कड़ी जोड़ दी। 

रुपाराम डूडी अपने पिछले कार्यकाल से ही अपने विधानसभा क्षेत्र ही नही बल्कि नागौर जिले में पेयजल समस्या को लेकर काफी गंभीर थे और इसके लिए वो अथक प्रयासरत रहे। नागौर जिले में इंदिरा गाँधी नहर के प्रथम चरण के पानी को नागौर तक पंहुचने में इनका काफी योगदान रहा था। डीडवाना की जनता को इंदिरा गाँधी नाहर का पानी मिले इसके लिए रूपाराम डूडी लगातार प्रयास करते रहे थे तथा दिन रात पेयजल की समस्या को लेकर जदोजहद में लगे रहते थे। 


डीडवाना के लिए शौक साबित होने वाले जीवण गौदारा हत्याकांड में अगर किसी ने संघर्ष किया था तो वे हनुमान बेनिवाल और रूपाराम डूडी ही थे और इन दोनों नेताओं ने जीवण गोदारा के हत्यारों को जैल में बिठाकर ही दम लिया। उन्हें जब भी वक्त मिलता वो शहीद परिवार के घर अवश्य जाते। रूपाराम डूडी का कहना था की अगर मैं नहर का पानी डीडवाना तक पंहुचा सका तो अपने आप को धन्य समझूंगा। क्षेत्र की जनता भी इसको विधायक का भागीरथी प्रयास मान रही थी। 

विधायक डूडी ग्रामीण क्षेत्र में छात्र छात्राओ की शिक्षा को लेकर काफी गंभीर और संजीदा दिखते थे। उन्होंने अपने प्रयासों से क्षेत्र की कई स्कूलों को कर्मोनत करवाया। गांव-  ढाणी तक बच्चो को शिक्षा मिले, इसके लिए भी प्रयासरत रहे। बालिका शिक्षा को लेकर उनका मानना था कि जब महिलाये पढेगी तो हमारा समाज आगे बढेगा और देश की तर्की में भागीदार बनेगी। इसी सोच को लेकर उनके प्रयासों से पिछले कार्यकाल में राजस्थान के गिने चुने चार आवासीय विद्यालयों में से एक डीडवाना के पावटा में संचालित है जहाँ प्रदेश भर से 540 छात्राए अध्यन कर रही है!




सरल स्वभाव ही रूपराम डूडी की असली पहचान:-

अपने निर्वाचन क्षेत्र में जब भी डीडवाना आते थे तो गाँवो का दोरा करने निकल जाते, गाँव की चोपाल पर बैठकर ग्रामीणों से सीधा संवाद करते, हर आम और खास से राम राम कर उनका और गाँव का हाल चाल जानना इनकी सबसे बडी खूबी थी। 2014 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने रूपाराम डूडी को टिकट नहीं दिया। इस चुनाव में उनके बेटे चेतन डूडी को टिकट दिया। चेतन भाजपा के यूनुस खान से चुनाव हार गए थे।

डूडी के स्वाभिमान की लड़ाई:-

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने डूडी को अनदेखा किया, अपने स्वाभिमान के साथ ऐसा करना डूडी को रास नहीं आया।विधानसभा चुनावों के बाद कुछ दिनों बाद लोकसभा चुनाव होने जा रहे थे। लोकसभा चुनावों में काँग्रेस पार्टी को धत्ता बताकर रूपाराम डूडी मारवाङ के उभरते किसान नेता हनुमान बेनिवाल के समर्थन में डट गये। गांव गांव ढाणी ढाणी जाकर उनके पक्ष में वोट माँगे। इन चुनावों में ज्योति मिर्धा का विरोध किया, इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस की ज्योति मिर्धा भाजपा के सी आर चौधरी से चुनाव हार गई।



चुनावों के कुछ दिनों बाद रूपाराम डूडी को पीलिया की बीमारी लग गई, जिसके कारण वो बीमार पड़ गए, 10 मई 2014 को गुड़गांव के वेदान्ता अस्प्ताल में रूपाराम डूडी ने अंतिम सांस ली थी। जब डूडी का स्वर्गवास हुआ तो हर कोई विश्वास नहीं कर रहा था कि ऐसा किसान नेता कैसे जा सकता हैं, लेकिन उनके चले जाने से पीछे हर कोई मायूस हो गया था। आज भी उनकी कमी डीडवाना के लोगों में खलती हुई देखी जा सकती हैं। वर्तमान में रूपाराम डूडी के बेटे चेतन डूडी डीडवाना से विधायक हैं। विधायक चेतन डूडी आज डीडवाना में अपने पिता के आदर्शों पर चलते हुए एक अच्छे जनसेवक का फर्ज निभा रहे हैं।

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