अपनी पारिवारिक कलह खत्म कर फिर एक साथ हुआ नागौर का मिर्धा परिवार


नागौर, राजस्थान।

फिलहाल राजस्थान में उपचुनाव का माहौल हैं। नागौर जिले एक सीट खींवसर पर भी उपचुनाव हो रहा हैं। इस उपचुनाव में खींवसर सीट से कांग्रेस के हरेन्द्र मिर्धा प्रत्याशी हैं। इस उपचुनाव में राजस्थान की राजनीति में अपनी पहचान रखने वाला मिर्धा परिवार फिर से एक हुआ है। इस उपचुनाव में हरेन्द्र मिर्धा, रिछपाल मिर्धा, ज्योति मिर्धा और तेजपाल मिर्धा सभी एक साथ देखें जा रहे है। इस परिवार में काफी सालों से आंतरिक कलह बनी हुई थी। सभी परिवार के नेता एक-दूसरे के साथ नहीं रहते थे, लेकिन अब इस उपचुनाव में सभी मिर्धा एक साथ दिखाई दे रहे है।


जाने कैसे हुई मिर्धा परिवार में आपस मे लड़ाई

मिर्धा परिवार का नाम बलदेव राम मिर्धा से शुरू होता हैं। बलदेव राम मिर्धा आजादी से पहले जोधपुर में पुलिस के डीआईजी पद पर थे। रिटायर होने के बाद उन्होंने मारवाड़ के किसानों के साथ एक नई सभा बनाई, जिसका नाम मारवाड़ किसान सभा था। यह सभा आजादी के बाद कांग्रेस में विलय हो गई। इसके बाद बलदेवराम मिर्धा के बेटे रामनिवास मिर्धा और इसी परिवार के भतीजे नाथूराम मिर्धा ने 1952 में हुए चुनावो में भाग लेकर अपनी राजनीति शुरू कर दी। 

एक ओर नाथूराम मिर्धा तो दूसरी ओर रामनिवास मिर्धा ने राजनीति में काफी बड़ी पहचान बना ली और केंद्र तक बड़े-बड़े पदों पर पहुंच गए। लेकिन आपातकाल में नाथूराम मिर्धा ने कांग्रेस छोड़ दी और मिर्धा परिवार के दोनों नेता आमने-सामने हो गए। 1984 में नाथूराम मिर्धा और रामनिवास मिर्धा ने आमने-सामने चुनाव लड़ा। इस चुनाव में रामनिवास मिर्धा चुनाव जीत गए। फिर 1988 के जिला प्रमुख चुनाव में भी दोनों परिवार आमने-सामने हो गए। इसमें रामनिवास मिर्धा के बेटे हरेन्द्र मिर्धा और नाथूराम मिर्धा के भतीजे रिछपाल मिर्धा ने चुनाव लड़ा, जिसमें हरेन्द्र मिर्धा जिला प्रमुख बन गए। 

फिर 1996 में नाथूराम मिर्धा की मौत के बाद लोकसभा उपचुनाव में नाथूराम मिर्धा के बेटे भानुप्रकाश ने रामनिवास मिर्धा को चुनाव हरा दिया और पुराना हिसाब बराबर कर दिया। 

वर्षों बाद मिर्धा परिवार फिर एक हुआ

मिर्धा परिवार में यह लड़ाई काफी पुरानी हैं। उसके बाद भी मिर्धा परिवार चुनाव लड़ता गया, कभी जीत भी गए, कभी हार भी गए। नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा नागौर से सांसद भी बन गई, उनके चाचा रिछपाल मिर्धा भी विधायक बनते गए। दूसरी ओर रामनिवास मिर्धा गट के हरेन्द्र मिर्धा चुनाव हार गए। लेकिन अब इस खींवसर उपचुनाव में सभी मिर्धा एक बार पुरानी लड़ाई भूलकर एक साथ आये। हरेन्द्र मिर्धा की नामांकन सभा मे नाथूराम मिर्धा गुट की ज्योति मिर्धा शामिल हुई, इसके बाद अभी प्रचार के लिए खींवसर भी आई। ज्योति के चाचा रिछपाल मिर्धा भी हरेन्द्र मिर्धा के साथ मिलकर प्रचार कर रहे हैं। वरना एक समय मे हरेन्द्र मिर्धा और रिछपाल मिर्धा ने आमने-सामने चुनाव भी लड़ा था। इस प्रकार वर्षो बाद नागौर का यह मिर्धा परिवार एक साथ आया हैं। मिर्धा परिवार के साथ आने की चर्चा नागौर में काफी जोरों पर हो रही हैं।

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