आखिर गुर्जर आंदोलन के प्रमुख नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला, कैसे बने गुर्जरों के मसीहा


सवाईमाधोपुर, राजस्थान। राजस्थान में फिर से गुर्जर आंदोलन शुरू हो गया हैं। एक बार पहले भी गुर्जरों ने बहुत बड़ा आंदोलन किया था, जिसे अब तक सबसे बड़ा आंदोलन भी बताते हैं। उसी तरह गुर्जरों ने एक बार फिर राजस्थान की धरती पर हुंकार भरी है। यह आंदोलन भी पहले आंदोलन की तरह ही हैं। गुर्जरों ने हाइवे और रेलवे लाइन भी जाम कर दिये हैं।

यह आंदोलन गुर्जर आरक्षण समिति के प्रमुख कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की अगुवाई में हो रहा हैं। क्या आप जानते हैं कि कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला कौन थे?? कैसे बने गुर्जरों के मसीहा?? आज हम आपको सब कुछ बताने जा रहे है।

किरोड़ी सिंह बैंसला फ़ौज में सिपाही के पद से कर्नल तक पहुंचे

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौलीजिले में हुआ था। किरोड़ी सिंह का जन्म बैंसला(गुर्जर) जाति हुआ था। किरोड़ी सिंह ने शुरुआत में पढ़ाने का काम किया। किरोड़ी सिंह के पिता भारतीय सेना में जवान थे। पिता से सिख लेकर किरोड़ी सिंह भी सेना में भर्ती हो गए। किरोड़ी सिंह सेना में सिपाही के पद लगे। कर्नल किरोड़ी सिंह ने 1962 में भारत-चीन युध्द और 1965 भारत-पाकिस्तान युध्द में भी भाग लिया था। कर्नल ने इन दोनों ही युद्दों में अपनी बहादुरी दिखाई।

कर्नल किरोड़ी सिंह पाकिस्तान की सेना के हाथ भी लग गए थे और उनको बंदी भी बनाया था। कर्नल किरोड़ी सिंह को सेना में 'इंडियन रैम्बो' और ' जिब्राल्टर का चट्टान' कहते थे। कर्नल किरोड़ी सिंह सेना में अपनी बहादुरी से सिपाई की रेंक से कर्नल की रेंक पाई।

रिटायरमेंट के बाद समाज सेवा को बनाया जिंदगी का मकसद

रिटायर के बाद कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने गुर्जर समाज की लड़ाई लड़ने का फैंसला किया। उन्होंने गुर्जरों के आरक्षण का मुद्दा उठाया और आरक्षण की लड़ाई लड़ना शुरू किया। किरोड़ी सिंह ने गुर्जर आरक्षण समिति का भी गठन किया। जब पहली बार गुर्जर आंदोलन हुआ था, उस समय भी किरोड़ी बैंसला ने इस आंदोलन की अगुवाई की थी। राजस्थान में सड़क और रेल मार्ग को जाम किया था, जिसके आगे सुप्रीम कोर्ट को भी हस्तक्षेप करना पड़ा। राजस्थान में बीजेपी की हार का कारण भी गुर्जर आंदोलन को माना जाता हैं।

अब एक बार फिर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने राजस्थान में गुर्जर आंदोलन शुरू कर दिया हैं। इस दौरान गुर्जरों ने सड़क और रेल मार्ग जाम करना शुरू कर दिया हैं। पहले ही दिन इस आंदोलन का असर रेल यातायात पर देखने को मिला। जयपुर रेलवे की कई ट्रेनें केंसल भी हो गई। इन सब कारणों के कारण कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को गुर्जर अपना मसीहा मानते हैं।

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